जैविक खेती का कटोरा….

जैविक खेती का कटोरा
दुनिया के तमाम देशों में अब जैविक खेती के उत्पादों को प्राथमिकता के साथ खरीदा जा रहा है। लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर बेहद जागरूक हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौ आधारित कृषि पर जोर दिया। सीएम की सर्वाधिक चर्चित योजना गोधन न्याय योजना की आज पूरे देश में चर्चा हो रही है। भारत देश में छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य है जहां गोबर और गोमूत्र की खरीदी राज्य सरकार कर रही है। किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार व्यापक पैमाने पर योजनाएं चला रही है।

हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का एक बड़ा त्यौहार माना जाता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आज खुद दो लीटर गोमूत्र बेंचकर 40 रूपए कमाए। इसी के साथ पूरे राज्य में गोमूत्र की खरीदी का भी रास्ता साफ हो गया है। किसान के बेटे सीएम भूपेश बघेल की ये योजनाएं छत्तीसगढ़ को विश्व पटल पर काफी आगे ले जाएंगी। गोमूत्र में तमाम तरह के आयुर्वेदिक गुण तो होते ही हैं। इसके अलावा ये खेती के लिए भी रामबाण है। इसको कीटनाशक के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

खेतों में रसायनिक खादों और अंधाधुंध कीटनाशकों के उपयोग से छत्तीसगढ़ की जमीन अम्लीय होती जा रही थी। इसकी खबरें पहले भी आ चुकी हैं। मिट्टी की जांच के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने पाया कि जमीन में तेजी से अम्लता बढ़ती जा रही है। इसको रोकने का तरीका भी उन लोगों ने कम्पोस्ट खाद को ही बताया था। अब छत्तीसगढ़ में व्यापक स्तर पर वर्मीं कम्पोस्ट का उत्पादन हो रहा है। इसका लाभ हमारे किसानों को मिलेगा। वे रसायनिक खादों का उपयोग करने की बजाय अपने आसपास बनाई जा रही वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन अपने खेतों में करेंगे। इससे उनकी उपज बेहद उच्च गुणवत्ता वाली होगी। ऐसी ही उपज का दाम विश्व बाजार में बढ़िया मिलता है। इसके साथ ही साथ ऐसे ही उत्पादों की मांग भी विदेशों में ज्यादा होती है। इसके अलावा जब इस योजना पर खुद मुख्यमंत्री निगाह रखे हुए हैं तो निःसंदेह ही इसका दिन दूना- रात चौगुना विकास होगा।

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान की कई हजार किस्में उगाई जाती हैं। कोदो, कुटकी, अच्छी गुणवत्ता वाले मसाले का उत्पादन भी बहुतायत से होता है। ऐसे में अगर हमारे राज्य के किसान जैविक पध्दति से खेती करते हैं। तो इनके उत्पादों को विश्व बाजार में न सिर्फ अच्छी कीमत मिलेगी, बल्कि इसकी मांग भी लगातार बढ़ती जाएगी। कुल मिलाकर धान के कटोरे का किसान अपना चावल भारत के बाहर भेज कर अच्छा खासा मुनाफा कर सकेगा। इसके अलावा उसकी जमीन की सेहत में भी लगातार सुधार आएगा।

गोबर से मूर्तियां, गोबर से पेंट, गोबर से धूपबत्ती, गोबर से चप्पलें, गोबर से काष्ठ जैसे उत्पाद हमारे राज्य में बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा तमाम अंदरूनी इलाकों में महिला स्व सहायता समूह एक साथ मिलकर बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट का भी उत्पादन कर रहे हैं। ये स्व सहायता समूह अपनी खाद किसानों को बेंचते हैं। इस खाद की गुणवत्ता बेहद अच्छी होती है। इसको जिस खेत में डाला जाएगा उसकी मिट्टी की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही। इससे होने वाली उपज भी खाने योग्य होगी। बाजार में ऐसे उत्पादों की ज्यादा कीमत मिलती है। इससे किसानों की माली हालत में सुधार आएगा। पहले छत्तीसगढ़ में पशुधन की तस्करी व्यापक पैमाने पर होती थी। राज्य सरकार की इन योजनाओं के लागू हो जाने के बाद से इसमें भारी गिरावट देखी जा रही है।
गोवंश सेे गोबर, मूत्र के अलावा इनसे एक और चीज निकलती है। उसकी ओर सरकार का ध्यान या तो गया नहीं। या फिर किसी ने इनको बताया ही नहीं। असल में एक स्वस्थ जानवर जब जुगाली करता है, तो उसके पेट से 5 सौ से लेकर 8 सौ लीटर तक मिथेन गैस निकलती है। ये आंकड़ा उन पशुओं को लेकर हुए रिसर्च में सामने आया है, जो भूसा खाते हैं। छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों का कहना है कि पैरा खाने वाले जानवरों के पेट से इससे भी ज्यादा मात्र में मिथेन गैस निकलती है। मिथेन गैस को हम एलपीजी गैस के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे एक ओर जहां हमारे राज्य की जनता को महंगी गैस से मुक्ति मिलेगी । वहीं हमारा पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा। पशुपालकों की कमाई बढ़ेगी सो अलग। छत्तीसगढ़ सरकार अगर इस योजना पर वैज्ञानिक तरीके से काम करती है। तो अकेले छत्तीसगढ़ पूरे भारत को गैस सिलेंडर्स की सप्लाई कर सकता है। ऐसे में सरकार को गोधन न्याय योजना में इसको भी प्राथमिकता से शामिल करने की जरूरत है।

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